नई शिक्षा नीति 2025 – क्या बदलेगा? जानिए 6 बड़े बदलाव

भारत सरकार ने जुलाई 2025 में नई शिक्षा नीति (NEP 2025) लागू करने की घोषणा की है। यह नीति स्कूली शिक्षा से लेकर कॉलेज स्तर तक की व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव लेकर आई है। इसका उद्देश्य शिक्षा को ज्यादा व्यावहारिक, लचीली और कौशल आधारित बनाना है ताकि विद्यार्थी सिर्फ किताबों तक सीमित न रहें, बल्कि असली जीवन के लिए तैयार हो सकें।

इस लेख में हम जानेंगे NEP 2025 के 6 सबसे महत्वपूर्ण बदलाव, जो हर छात्र, अभिभावक और शिक्षक को जानना चाहिए।

5+3+3+4 शिक्षा प्रणाली लागू

अब तक भारत में 10+2 सिस्टम चलता आ रहा था, लेकिन नई नीति में इसे खत्म कर 5+3+3+4 मॉडल लागू किया गया है:

  • 5 साल – फाउंडेशन स्टेज (प्री-स्कूल + कक्षा 1-2)
  • 3 साल – प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा 3-5)
  • 3 साल – मिडिल स्टेज (कक्षा 6-8)
  • 4 साल – सेकेंडरी स्टेज (कक्षा 9-12)

अब बच्चों की शिक्षा प्री-स्कूल से शुरू होगी, जिससे शुरू से ही मजबूत नींव तैयार हो सके।

कक्षा 6 से स्किल ट्रेनिंग और इंटर्नशिप

नई नीति के अनुसार, कक्षा 6 से ही छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा दी जाएगी। उन्हें कोडिंग, बढ़ईगिरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, एआई और अन्य प्रैक्टिकल स्किल्स सिखाई जाएंगी। साथ ही, वे इंटर्नशिप भी कर सकेंगे, जिससे उन्हें नौकरी की दुनिया का अनुभव स्कूल स्तर से ही मिल सके।

मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम (कॉलेज में)

कॉलेज में पढ़ाई अब ज्यादा लचीली होगी। छात्र अब:

  • 1 साल बाद सर्टिफिकेट
  • 2 साल बाद डिप्लोमा
  • 3 या 4 साल बाद डिग्री

ले सकेंगे। अगर कोई बीच में पढ़ाई छोड़ता है, तो उसकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी – उसे जो भी योग्यताएं पूरी हुई हैं, उनके अनुसार प्रमाणपत्र मिलेगा।

मातृभाषा में शिक्षा (कक्षा 3 तक)

कक्षा 3 तक विद्यार्थियों को मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा या स्थानीय भाषा में पढ़ाने का सुझाव दिया गया है। यह बच्चों की समझ और सीखने की प्रक्रिया को और सरल बनाएगा। हालाँकि, अंग्रेज़ी और अन्य भाषाएं भी वैकल्पिक रूप में पढ़ाई जा सकेंगी।

विषयों की दीवारें हटेंगी

अब छात्र विज्ञान, वाणिज्य और कला जैसी परंपरागत सीमाओं में बंधे नहीं रहेंगे। कोई छात्र गणित के साथ संगीत या जीवविज्ञान के साथ इतिहास भी पढ़ सकेगा। इसका उद्देश्य छात्रों को रुचि आधारित शिक्षा देना है।

डिजिटल क्रांति और एक ही प्रवेश परीक्षा (CUET)

देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए एक सामान्य प्रवेश परीक्षा (CUET) अनिवार्य होगी। साथ ही डिजिटल लर्निंग, ई-बुक्स, और क्रेडिट बैंक सिस्टम की भी शुरुआत की जाएगी ताकि छात्र किसी भी कोर्स में डिजिटल माध्यम से आगे बढ़ सकें।

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